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मंगलवार, 26 मई 2020

जय वीर हनुमान ( Jai Veer Hanumana )

|| जय श्री राम ||
 
|| जय वीर हनुमान || 
 
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामअग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियं भक्तं वातंजातं नमामि।
 
अतुलित बल के धाम, स्वर्ण के समान कान्तियुक्त कायावाले , दैत्यों के संहारक (दैत्य वन के लिए दावानल के समान विध्वंसक ), ज्ञानियों में सर्वोपरि , सभी श्रेठ गुणों से युक्त समस्त वानर समुदाय के अधीक्षक और श्री रघुनाथ जी के अतिशय प्रिय भक्त महावीर हनुमान को मैं प्रणाम करता हूँ|

The abode of unmatched force, the deaf-like body of gold, the destroyer of the demons (destroyers like the forest for the forest), the paramount among the knowledgeers, the superintendent of the entire monkey community with all the best qualities and the most dear devotee of Shri Raghunath to Mahavir Hanuman I salute.


भगवान् राम  के अनेक भक्त हुए किन्तु अनन्य भक्ति का जो उदहारण महावीर बजरंग बली ने हमें दर्शाया वो युगों युगों तक भक्त जनो के मन में व्यापत रहेगा | शक्ति और भक्ति के पर्याय हनुमान जी ने मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम की समय समय पर सहायता की और उन असम्मभव कार्यों को किया जो संसार में कोई विचार में भी नहीं ला सकता |  पवन देव के मुंह बोले पुत्र होने की वजह से मारुति नंदन भी कहा जाता है । मारुति अर्थात पवन अर्थात वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन कहा जाता है । महाबली हनुमान को महावीर नाम से भी जाना जाता है । सभी संकट से पार लगा देते है, इसलिए संकट मोचन कहा जाता है । हनुमान जी को बालाजी और हनुमते नाम से भी जाना जाता है ।पवनदेव के आशीर्वाद स्वरुप भगवान शंकर के ग्यारवहें अवतार के रूप मैं हनुमान ने वानरराज केसरी व माता अंजना के यहाँ जन्म लिया | सूर्य भगवान उनके गुरु हैं तथा सुग्रीव , जामवंत आदि मित्र |

There were many devotees of Lord Rama, but the example of exclusive devotion, Mahavir Bajrang Bali showed us that it will spread in the minds of devotees for ages and years. Hanuman ji, synonymous with power and devotion, helped Mary Rama Purushottam Lord Rama from time to time and performed those unpredictable tasks which no one in the world could even bring to mind. Pawan Dev is also called Maruti Nandan because of his son. Maruti means Wind i.e. Wind, hence they are called Maruti Nandan. Mahabali Hanuman is also known as Mahavir. All overcome the crisis, hence the crisis is called redemption. Hanuman ji is also known by the name of Balaji and Hanumate. In the form of the blessing of Lord Shiva, Hanuman was born in the form of the avatar of Lord Shankar to Vanararaj Kesari and mother Anjana. Sun God is his guru and friends like Sugriva, Jamwant etc.
 
 
ब्रह्मचारी बजरंगबली की शक्ति इतनी थी की उनके पसीने की एक बूँद से ही मकरध्वज ने मछली के पेट मैं जन्म लिया | बाल्यकाल मैं सूर्य को निगलना , एक छलांग में समुद्र लाँघ जाना, लंका दहन करना , संजीवनी बूटी लाना तथा अपना हृदय तक चीर के उसमें राम , लक्षमण व माता सीता को दिखलाना भगवान शंकर के रुद्रावतार ही कर सकते हैं | यूँ तो हनुमान जी अनेक रूप धारण कर सकते हैं किन्तु उनका पंचमुखी रूप अत्यंत पूजनीय कहा गया है | पंचमुखी रूप से सम्बंधित एक रोचक प्रसंग विख्यात है :-
 
The power of Brahmachari Bajrangbali was so much that Makardhwaja was born in the stomach of a fish with just a single drop of his sweat. In childhood, you can swallow the sun, go to sea in a leap, burn Lanka, bring Sanjeevani boot and rip your heart to show Ram, Lakshman and Mother Sita in it. Although Hanuman ji can wear many forms, but his Panchmukhi form is said to be extremely venerable. An interesting episode related to Panchmukhi is famous: -
 
श्रीराम और रावण युद्ध में भाई रावण की मदद के लिए अहिरावण ने ऐसी माया रची कि सारी सेना गहरी निद्रा में सो गई। तब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण करके उन्हें निद्रावस्था में पाताल लोक ले गया। इस विपदा के समय में सभी ने किया।

In order to help brother Ravana in the battle of Rama and Ravana, Ahiravan created such a chaos that the whole army slept in deep sleep. Then Ahiravan kidnapped Shriram and Lakshmana and took them to sleep in a sleepy state. At the time of this calamity, everyone remembered Sankat Mochan Hanumanji.

 
हनुमान जी तुरंत पाताल लोक पहुंचे और द्वार पर रक्षक के रूप में तैनात मकरध्वज से युद्घ कर उसे परास्त किया। जब हनुमानजी पातालपुरी के महल में पहुंचे तो श्रीराम और लक्ष्मण बंधक अवस्था में थे। अहिरावण का अंत करने के लिए यह जरूरी था कि पांचों दीपकों को एक साथ बुझाया जाए जो अहिरावण ने पांच दिशाओं में माँ भवानी की पूजा के लिए रखे हुए थे । इस स्थिति से पार पाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया और तत्पश्चात अहिरावण का वध किया । इस पंचमुखी अवतार में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरूड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान जी का मुख था। श्रृष्टि के आरंभ में जब कुछ नहीं था। तब प्रथम देव शिव ने ही श्रृष्टि की रचना के लिए पंच मुख धारण किए। त्रिनेत्रधारी शिव के पांच मुख से ही पांच तत्वों जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी की उत्पत्ति हुईं। इसलिए श्री शिव के ये पांच मुख पंचतत्व श्रृष्टि की उत्पत्ति का आधार माने गए हैं और हनुमान जी उन्ही के अवतार हैं | ऐसा भी कहा गया है की हनुमान जी की प्रेरणा से ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखी | 

Hanuman ji immediately reached Patal Lok and defeated him by fighting with Makardhwaj, posted as guard at the gate. When Hanumanji reached the palace of Patalpuri, Shriram and Lakshmana were in a hostage state. To end the Ahiravana, it was necessary that the five lamps be extinguished simultaneously which Ahiravan had placed in five directions to worship Maa Bhavani. To overcome this situation, Hanuman ji took the form of Panchmukhi and then killed Ahiravana. This Panchamukhi avatar had Varah Mukha in the north, Narasimha Mukha in the south, Garuda Mukha in the west, Hayagriva Mukha towards the sky and Hanuman Ji in the east. When there was nothing at the beginning of Srishti. Then the first Dev Shiva wore the Panch Mukha for the creation of Shrishti. Five elements of water, air, fire, sky, earth originated from the five faces of the Trinatradhari Shiva. Therefore, these five faces of Shri Shiva are considered to be the basis of the origin of Panchatatva Shrishti and Hanuman ji is his incarnation. It has also been said that Tulsidas wrote Ramcharitmanas only with the inspiration of Hanuman.
 

अजर-अमर हैं हनुमान. अपने भक्तों पर कृपा करते हैं और उनके सारे कष्‍ट संकटमोचन हर लेते हैं| वह महावीर भी हैं और हर युग में अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं. | मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन हैं| भगवान् राम के तो अनेक भक्त हैं किन्तु हनुमान जी की भक्ति की शक्ति की कोई सीमा नहीं , अन्नत काल तक प्रभु राम की सेवा और आज्ञा पालन ही जिनका धर्म है और हनुमान जी हर रामभक्त के लिए संकटमोचन हैं | 
 
 
 Hanuman is ajar-immortal. He blesses his devotees and takes all their agonizing troubles. He is also Mahavira and solves the problems of his devotees in every era. | Tuesday and Saturday are the best days to worship Lord Hanuman. There are many devotees of Lord Rama, but there is no limit to the power of devotion of Lord Hanuman, only the service and obedience of Lord Rama till the end of his life, and Hanuman ji is a crisis for every Rama devotee.
 



The most powerful mantra of Bhagwan Hanuman ji is 
" Om Hum Hanumatey Namah"