bhakti लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
bhakti लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 28 मई 2020

जय भरत ( Jai Bharat Bhaiya )

 || जय श्री राम || 

 
|| जय भरत भैया || 
 
 
कैसे करूँ वंदना तुम्हारी हे आदर्श भरत भाई | 
माँ सरस्वती भी तुम्हारी बुद्धि ना  फिरा पाई || 

How should I worship you, your ideal Bharat brother? Mother Saraswati did not even turn your mind ||
 
 
भरत जी के जैसा भाई संसार में ना हुआ ना कभी होगा जिन्होंने एक अनन्य भक्त के रूप में अपने बड़े भाई श्री राम जी की सेवा करी |  राम कथा में भरत मिलाप वर्णन का विशेष स्थान है |भरत राजा दशरथ एवं केकई के पुत्र थे राम कथा में भरत प्रेम की परिभाषा है तथा भगवान् राम मर्यादा की | इंद्र आदि देवताओं के कहने पर मां सरस्वती ने मंथरा की बुद्धि फेर दी और मंथरा के बहकावे में केकई माता ने अपने प्रिय पुत्र राम को बनवास दिला दिया , किंतु जब भरत वन में जाकर अपने प्रभु राम जी को वापस लाने का विचार करने लगे तब देवताओं ने फिर से मां सरस्वती जी से विनती की कि भरत जी की बुद्धि भी फेर दें जिससे वह बन जा कर रामजी को वापस ना बुला लाएं ताकि उनके कार्य सिद्ध हो सके परन्तु मां सरस्वती जी ने साफ मना करते हुए कहा कि भरत जी का प्रेम टूट है उनकी भक्ति निष्कलंक  है उनकी बुद्धि हर लेने का साहस एवं ब्रह्मा, विष्णु व महेश में भी नहीं है क्यूंकि भगवान् राम अपना अहित सह सकते हैं किन्तु अपने भक्तो का नहीं और भरत जी तो उनको परमप्रिय हैं | भरत जी को विष्णु जी के सुदर्शन चक्र का अवतार माना जाता है उनकी पत्नी मांडवी थी  जिन्होंने कभी भातृ भक्ति में लीन भरत जी की सेवा में विघ्न नहीं डाला तथा सदा अपनी तीनों सास की सेवा करती रही भरत जी का भातृ प्रेम इतना अटूट था कि खुद प्रभु राम, गुरु वशिष्ठ व  राजा जनक भी उनके प्रेम और भक्ति की सराहना करते नहीं थकते थे | भरत जी ने करोड़ों प्रयत्न किए कि राम वापस अयोध्या लौट चलें किंतु जब राम जी ने कहा कि मैं तुम्हारे प्रेम के आगे विवश हूं तथा यज्ञ का राज्य स्वीकार करता हूं वह प्रसन्न हो गए लेकिन रामजी ने आगे कहा कि राज्य अभिषेक तो आज के 14 वर्ष काटने के बाद ही होगा ताकि पिता के वचनों का पालन हो सके तब भरत जी ने प्रतिज्ञा ही कर ली कि एक भी दिन आपने आने की देरी की तो वह चिता में भस्म हो जाएंगे और जब तक आप वापस नहीं आएंगे आप की चरण पादुका ही सिंहासन पर बैठेगी | अपने सर पर प्रभु राम की चरण पादुका लेकर वह वापस लौट आए किंतु एक भी क्षण के लिए प्रभु भक्ति से विमुख नहीं हुए | उन्होने तो अयोध्या नगरी के बाहर कुटिया में रहना शुरू कर दिया|  भरत जी मुनियों की तरह जीवन व्यतीत करने लगे और राजकाज भी संभालने लगे|  वह कंदमूल खाते थे तथा एक ही गड्ढे में 14 वर्ष तक कुशा के आसन पर सोए | भरत जी १४ वर्ष तक श्री राम जी के वनवास से भी कठिन व्रत का पालन करते रहे तथा जब तक उनके प्रभु राम 14 वर्ष के वनवास की अवधि पूरी कर के ना आए उन्होंने सदा उनकी याद में ही दिन व्यतीत किए | 

Like Bharat ji, no brother has ever happened in the world, nor will there ever be one who served his elder brother Shri Ram Ji as an exclusive devotee. Bharat Milap has a special place in narration in Ram Katha. Bharat was the son of King Dasharatha and Kekai. In Ram Katha, Bharat is the definition of love and Lord Ram is Maryada. At the behest of Indra, Goddess Saraswati changed the mind of Manthara and under the pretext of Manthara, Kekai Mata got her beloved son Rama to stay, but when the idea of ​​going back to Bharat forest to bring back his lord Ram ji, the gods Again pleaded with mother Saraswati ji to change the mind of Bharat ji So that he cannot become and call Ramji back so that his work can be proved, but Mother Saraswati ji refuses, saying that the love of Bharat ji is broken, his devotion is unblemished and his courage to take every wisdom and Brahma, Vishnu and Mahesh I am also not there because Lord Rama can bear his harm but not his devotees and Bharat ji is dear to him. Bharat ji is considered to be the incarnation of the Sudarshan Chakra of Vishnu, his wife was Mandvi, who never disturbed the service of Bharat ji, absorbed in her devotion and always served her three mother-in-law, Bharati's fraternal love was so unwavering. Lord Ram, Guru Vashistha and King Janak also did not get tired of appreciating their love and devotion. Bharat ji made millions of efforts to get Ram back to Ayodhya, but when Ram Ji said that I am forced in front of your love and accept the kingdom of Yajna, he was pleased but Ramji further said that the present year of Abhishek is 14 years. It will be only after cutting so that the words of the father can be obeyed, then Bharat ji has vowed that even if you delay for a single day, he will be consumed in the funeral pyre and till you come back to the throne of your feet. Will sit on He returned with the foot pad of Lord Rama on his head, but for a single moment he did not turn away from the devotion of the Lord. He started living in a hut outside the city of Ayodhya. Bharat ji started living like sages and he also took care of the kingdom. He used to eat Kandamool and slept in the same pit on the seat of Kusha for 14 years. Bharat ji continued to observe a difficult fast even after the exile of Shri Ram ji for 14 years and he always spent days in his memory until his lord Rama came to complete his 14 years of exile.
 
 
भरत जी ने भाई के प्रति प्रेम का ऐसा साक्षात्कार गद्दार को कराया जो सदा के लिए वंदनीय हो गया उनका भातृ-प्रेम , भक्ति तथा भक्ति की शक्ति से भी अधिक आदरणीय हैं|  ऐसे भाई जिन्हें प्रभु राम जी का राजमुकुट भी चिता के समान लगा उन्हें शत-शत प्रणाम | 

Bharat ji gave such an interview of brother's love to the traitor who became forever venerable. His brotherly love is more revered than the power of devotion and devotion. Such brothers who also like the crown of Lord Rama like Chita.