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रविवार, 31 मई 2020

जय माता कौशल्या ( Jai Mata Kaushalyaa)

|| जय श्री राम || जय माता कौशल्या || 

 
 
|| जय श्री राम || 


रामायण एवं पुराणों के अनुसार कौशल्या जी कौशल देश के राजा भानुमंत की पुत्री थी | कौशल देश आज का छत्तीसगढ़ है तथा रायपुर से २५ किलोमीटर दूर चंद्रखुरी मैं ही कौशल्या जी का जनम हुआ | कालांतर में उनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ | 

According to Ramayana and Puranas, Kaushalya ji was the daughter of King Bhanumant of Kaushal. Kaushal Desh is today's Chhattisgarh and the birth of Kaushalya was in Chandrakhuri, 25 km from Raipur. Later, he was married to King Dasaratha of Ayodhya.

राजा दशरथ की तीन रानियां थी- कौशल्या, सुमित्रा एवं केकयी | माता कौशल्या राजा दशरथ की पहली पत्नी तथा श्री राम की माता थी | राजा की तीन रानियां थी पर तीनों ही रानियों का आपस में बहुत ही प्रेम था|  कौशल्या माता एक आदर्श पत्नी एवं धर्मपरायण एवं ममतामयी माता थी |  राम कथा में उनका चरित्र बहुत ही गंभीर करुणामई ममतामयी  विशाल हृदया तथा पति सेवा परिणीता स्त्री के रूप में दर्शाया गया है | 

King Dasharatha had three queens - Kaushalya, Sumitra and Kekayi. Mata Kaushalya was the first wife of King Dasharatha and the mother of Shri Rama. The king had three queens, but the three queens had a lot of love among themselves. Kaushalya Mata was an ideal wife and pious and Mamatamayi mother. In Ram Katha, her character is depicted as a very serious compassionate Mamatamayi huge heart and husband Seva Parineeta woman.

कौशल्या माता को जब पता चला कि उनके पुत्र राजाराम को राज्य अभिषेक होना निश्चित हुआ है, तब उन्होंने को बहुत दान-दक्षिणा वितरित की किंतु जब राम जी ने उन्हें बताया कि राजा दशरथ के वचनों का पालन करने के लिए राम जी को वन जाना होगा तो उन्होंने सांकेतिक शब्दों में राम जी को पिता के प्रति विद्रोह के लिए बोला कौशल्या जी ने कहा कि पिता कोई अनुचित आज्ञा दे तो माता की आज्ञा  अनुसार पुत्र को पालन करना चाहिए |  यदि माता-पिता दोनों की आज्ञा हो तो पुत्र को उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए और जब राम जी ने बताया कि केकयी  माता ने भी 14 वर्ष के वनवास के वचन का अनुसरण करने को कहा है तब कौशल्या  जी ने विशाल हृदय  दिखाते हुए राम जी को वन जाने की आज्ञा दे दी | कौशल्या जी ने श्रीराम की पितृ भक्ति की भुरी भुरी सहाना की | 

When Kausalya Mata came to know that her son Rajaram was certain to be anointed the kingdom, she distributed a lot of charity but when Rama told her that Rama would have to go to the forest to follow the words of King Dasaratha. So he cried out to Ram ji in rebellion against his father, Kaushalya said that if the father gives any inappropriate orders, the son should obey the mother's orders. If both parents are commanded, then the son should obey them and when Ram ji told that Kekayi Mata also asked to follow the promise of 14 years of exile, then Kaushalya ji showed great heart Ram ji Gave permission to go to the forest. Kaushalya ji endured Shriram's paternal devotion.

उनके जीवन चरित्र मै दर्शाया गया है की पति की अकस्मात् मृत्यु तथा राम जी के वन जाने के पश्चात् वे जीवनभर दुखी रहती हैं | उनके वास्तविक अधिकार से वंचित होकर उनका जीवन दुखदायी और दयनीय हो जाता है | | राजा दशरथ को यूं तो तीनों रानियों में केकयी सबसे अधिक आकर्षित करती थी किंतु राजा दशरथ ने अपना अंतिम समय कौशल्या जी के कक्ष में ही बिताया तथा उन्ही को अपनी सेवा का अवसर प्रदान किया | धर्म का पालन करने वाली माता कौशल्या ने कभी भी राम और भरत में भेद नहीं किया जब राजा भरत ने उनसे विनती करी की राम जी को आदेश दिए कि वे राजा बने और अयोध्या लौट चलें तो उन्होंने कहा कि माता क्या करें जब दोनों पुत्र ही  माता को सौगंध देने लगें - राम जी भी तो तुम्हारी तरह से विनती करेंगे कि भरत को राजा बनने की आज्ञा दें ताकि पिता के वचनों का पालन हो तब क्या करेंगे | इन प्रसंगो से पता चलता है कि माता कौशल्या बुद्धिमता और ममता दोनों की परिकाष्ठा को पार कर चुकी थी| 

Her life character has shown that after the sudden death of her husband and Ram ji's going to the forest, she remains unhappy throughout her life. Deprived of their real rights, their lives become painful and miserable. | While King Dasaratha was the most attracted of the three queens, King Dasaratha spent his last time in Kaushalya's room and gave him an opportunity to serve him. Mata Kaushalya, who practiced religion, never made any distinction between Rama and Bharata. When King Bharat begged him to order Rama to become king and return to Ayodhya, he asked what to do when both sons are the mother. To give Saugandh - Ram ji will also request you to order Bharat to become king so that what will be done when father's words are followed. These episodes show that Mata Kaushalya had passed the test of wisdom and Mamta.
 
 

 माता कौशल्या जी के दिन रात राम जी के वनवास की अवधि को पूरा होने की बाट जोहते ही बीते | जब राम जी अयोध्या लोटे तो प्रेमाश्रुओं से उनका तन मन आत्मविभोर हो उठा और श्री सीताराम को उन्होने ह्रुदय से लगा लिया | एक रोचक प्रसंग भी उनके साथ जुड़ा हुआ है जिसका वर्णन आनंद रामायण में मिलता है :-

On the day of Mata Kaushalya, the night of Ram ji's exile was completed. When Ram ji returned to Ayodhya, his body of mind became self-possessed by the lovers and he took Shri Sitaram with his heart. An interesting episode is also associated with him, which is described in Anand Ramayana: -

रावण को जब पता चला की कौशल प्रदेश की राजकुमारी कौशल्या से जो  उत्पन्न होगा वही उसका काल होगा  और उनका विवाह भी अयोध्या के राजा दशरथ से निश्चित हो चूका है | रावण ने तुरंत कौशल देश पर आक्रमण कर दिया और राजा अज तब रास्ते में ही थे उन पर भी हमला बोल दिया | विशाल राक्षसी सेना ने दोनों राजाओ को परास्त किया तब उसने कौशल्या जी का अपरहण करके उन्हें एक पेटी में बंद कर दिया और महामतस्य के मुख मैं छिपा दिया | संयोगवश एक दूसरे मतस्य के आक्रमण के कारण महामतस्य ने वह पेटिका जिसमे  कौशल्या जी बंद थी को गंगा किनारे रख दिया | राजा  दशरथ भी वही देव प्रेरणा से युद्ध में बहते हुए वही पहुंच गए तथा उस पेटिका से निकली देवी कौशल्या से विवाह कर लिया | 

When Ravana came to know that the skills that would arise from Kaushalya, the princess of the state, would be his period and his marriage was also confirmed to King Dasaratha of Ayodhya. Ravana immediately attacked Kaushal country and King Aja was on the way and attacked him too. The huge demonic army defeated both the kings, then he killed Kaushalya and locked them in a box and hid in the face of Mahamatasya. Incidentally, due to the attack of another opinion, Mahamatasya put the box in which Kaushalya ji was closed, on the banks of the Ganges. King Dasharatha too reached the same place with the same God inspiration while flowing in the war and married Goddess Kaushalya who came out of that box.
 
उपरोक्त प्रसंगो से पता चलता है की कौशल्या माता धैर्यवान , करुणामयी , ममतामयी व धर्मविदुषि थी|  भगवान् मर्यादापुर्षोत्तम श्री राम की जननी को कोटि कोटि प्रणाम | 

The above episodes show that Kaushalya Mata was patient, compassionate, Mamtamayi and religious scholar. Best regards to the mother of Lord Maryadapurshottam Shri Ram.  
 
 

गुरुवार, 28 मई 2020

जय भरत ( Jai Bharat Bhaiya )

 || जय श्री राम || 

 
|| जय भरत भैया || 
 
 
कैसे करूँ वंदना तुम्हारी हे आदर्श भरत भाई | 
माँ सरस्वती भी तुम्हारी बुद्धि ना  फिरा पाई || 

How should I worship you, your ideal Bharat brother? Mother Saraswati did not even turn your mind ||
 
 
भरत जी के जैसा भाई संसार में ना हुआ ना कभी होगा जिन्होंने एक अनन्य भक्त के रूप में अपने बड़े भाई श्री राम जी की सेवा करी |  राम कथा में भरत मिलाप वर्णन का विशेष स्थान है |भरत राजा दशरथ एवं केकई के पुत्र थे राम कथा में भरत प्रेम की परिभाषा है तथा भगवान् राम मर्यादा की | इंद्र आदि देवताओं के कहने पर मां सरस्वती ने मंथरा की बुद्धि फेर दी और मंथरा के बहकावे में केकई माता ने अपने प्रिय पुत्र राम को बनवास दिला दिया , किंतु जब भरत वन में जाकर अपने प्रभु राम जी को वापस लाने का विचार करने लगे तब देवताओं ने फिर से मां सरस्वती जी से विनती की कि भरत जी की बुद्धि भी फेर दें जिससे वह बन जा कर रामजी को वापस ना बुला लाएं ताकि उनके कार्य सिद्ध हो सके परन्तु मां सरस्वती जी ने साफ मना करते हुए कहा कि भरत जी का प्रेम टूट है उनकी भक्ति निष्कलंक  है उनकी बुद्धि हर लेने का साहस एवं ब्रह्मा, विष्णु व महेश में भी नहीं है क्यूंकि भगवान् राम अपना अहित सह सकते हैं किन्तु अपने भक्तो का नहीं और भरत जी तो उनको परमप्रिय हैं | भरत जी को विष्णु जी के सुदर्शन चक्र का अवतार माना जाता है उनकी पत्नी मांडवी थी  जिन्होंने कभी भातृ भक्ति में लीन भरत जी की सेवा में विघ्न नहीं डाला तथा सदा अपनी तीनों सास की सेवा करती रही भरत जी का भातृ प्रेम इतना अटूट था कि खुद प्रभु राम, गुरु वशिष्ठ व  राजा जनक भी उनके प्रेम और भक्ति की सराहना करते नहीं थकते थे | भरत जी ने करोड़ों प्रयत्न किए कि राम वापस अयोध्या लौट चलें किंतु जब राम जी ने कहा कि मैं तुम्हारे प्रेम के आगे विवश हूं तथा यज्ञ का राज्य स्वीकार करता हूं वह प्रसन्न हो गए लेकिन रामजी ने आगे कहा कि राज्य अभिषेक तो आज के 14 वर्ष काटने के बाद ही होगा ताकि पिता के वचनों का पालन हो सके तब भरत जी ने प्रतिज्ञा ही कर ली कि एक भी दिन आपने आने की देरी की तो वह चिता में भस्म हो जाएंगे और जब तक आप वापस नहीं आएंगे आप की चरण पादुका ही सिंहासन पर बैठेगी | अपने सर पर प्रभु राम की चरण पादुका लेकर वह वापस लौट आए किंतु एक भी क्षण के लिए प्रभु भक्ति से विमुख नहीं हुए | उन्होने तो अयोध्या नगरी के बाहर कुटिया में रहना शुरू कर दिया|  भरत जी मुनियों की तरह जीवन व्यतीत करने लगे और राजकाज भी संभालने लगे|  वह कंदमूल खाते थे तथा एक ही गड्ढे में 14 वर्ष तक कुशा के आसन पर सोए | भरत जी १४ वर्ष तक श्री राम जी के वनवास से भी कठिन व्रत का पालन करते रहे तथा जब तक उनके प्रभु राम 14 वर्ष के वनवास की अवधि पूरी कर के ना आए उन्होंने सदा उनकी याद में ही दिन व्यतीत किए | 

Like Bharat ji, no brother has ever happened in the world, nor will there ever be one who served his elder brother Shri Ram Ji as an exclusive devotee. Bharat Milap has a special place in narration in Ram Katha. Bharat was the son of King Dasharatha and Kekai. In Ram Katha, Bharat is the definition of love and Lord Ram is Maryada. At the behest of Indra, Goddess Saraswati changed the mind of Manthara and under the pretext of Manthara, Kekai Mata got her beloved son Rama to stay, but when the idea of ​​going back to Bharat forest to bring back his lord Ram ji, the gods Again pleaded with mother Saraswati ji to change the mind of Bharat ji So that he cannot become and call Ramji back so that his work can be proved, but Mother Saraswati ji refuses, saying that the love of Bharat ji is broken, his devotion is unblemished and his courage to take every wisdom and Brahma, Vishnu and Mahesh I am also not there because Lord Rama can bear his harm but not his devotees and Bharat ji is dear to him. Bharat ji is considered to be the incarnation of the Sudarshan Chakra of Vishnu, his wife was Mandvi, who never disturbed the service of Bharat ji, absorbed in her devotion and always served her three mother-in-law, Bharati's fraternal love was so unwavering. Lord Ram, Guru Vashistha and King Janak also did not get tired of appreciating their love and devotion. Bharat ji made millions of efforts to get Ram back to Ayodhya, but when Ram Ji said that I am forced in front of your love and accept the kingdom of Yajna, he was pleased but Ramji further said that the present year of Abhishek is 14 years. It will be only after cutting so that the words of the father can be obeyed, then Bharat ji has vowed that even if you delay for a single day, he will be consumed in the funeral pyre and till you come back to the throne of your feet. Will sit on He returned with the foot pad of Lord Rama on his head, but for a single moment he did not turn away from the devotion of the Lord. He started living in a hut outside the city of Ayodhya. Bharat ji started living like sages and he also took care of the kingdom. He used to eat Kandamool and slept in the same pit on the seat of Kusha for 14 years. Bharat ji continued to observe a difficult fast even after the exile of Shri Ram ji for 14 years and he always spent days in his memory until his lord Rama came to complete his 14 years of exile.
 
 
भरत जी ने भाई के प्रति प्रेम का ऐसा साक्षात्कार गद्दार को कराया जो सदा के लिए वंदनीय हो गया उनका भातृ-प्रेम , भक्ति तथा भक्ति की शक्ति से भी अधिक आदरणीय हैं|  ऐसे भाई जिन्हें प्रभु राम जी का राजमुकुट भी चिता के समान लगा उन्हें शत-शत प्रणाम | 

Bharat ji gave such an interview of brother's love to the traitor who became forever venerable. His brotherly love is more revered than the power of devotion and devotion. Such brothers who also like the crown of Lord Rama like Chita.