Why Rama Killed Ravana? Who was king of Ayodhaya?? Interesting stories of God Rama and facts about all other characters of Ramayana. In this blog you will find some very unique stories, incidents and information related to Ramayana and its characters. Readers may find it more interesting by relating the characters of Ramayana with people around them.
राजा दशरथ की तीन रानियों में से एक माता सुमित्रा भी थी| तीनो रानियों में से सुमित्रा जी का रामायण में बहुत ही संक्षिप्त उल्लेख मिलता है| सुमित्रा जी के बारे मैं हालाँकि अधिक नहीं कहा गया हैं किन्तु रामायण के सभी पात्रों मैं सुमित्रा जी की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी और रानियों की | कम उल्लेख होने की वजह से लगता है जैसे राजा दशरथ ने उनकी उपेक्षा की हो किन्तु ऐसा नहीं है क्यूंकि कथा के अनुसार सुमित्रा जी का व्यक्तित्व भी और रानियों अथवा माताओं की भाँती बहुत ही प्रभावशाली था |
राजा दशरथ के आग्रह पर गुरु वशिष्ठजी ने श्रृंगी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। मुनि के भक्ति सहित आहुतियाँ देने पर अग्निदेव हाथ में चरु (हविष्यान्न खीर) लिए प्रकट हुए (और दशरथ से बोले-) वशिष्ठ जी ने हृदय में जो कुछ विचारा था, तुम्हारा वह सब काम सिद्ध हो गया। हे राजन्! (अब) तुम जाकर इस हविष्यान्न (पायस) को, जिसको जैसा उचित हो, वैसा भाग बनाकर बाँट दो| (और दशरथ से बोले-) वशिष्ठ ने हृदय में जो कुछ विचारा था, तुम्हारा वह सब काम सिद्ध हो गया। हे राजन्! (अब) तुम जाकर इस हविष्यान्न (पायस) को, जिसको जैसा उचित हो, वैसा भाग बनाकर बाँट दो| उसी समय राजा दशरथ ने अपनी प्यारी पत्नियों को बुलाया। कौसल्या आदि सब (रानियाँ) वहाँ चली आईं। राजा ने (पायस का) आधा भाग कौसल्या को दिया, (और शेष) आधे के दो भाग किए| वह (उनमें से एक भाग) राजा ने कैकेयी को दिया। शेष जो बच रहा उसके फिर दो भाग हुए और राजा ने उनको भी कौसल्या और कैकेयी के हाथ पर रखकर दिया दोनों ही रानियों ने उन दोनों भागो को सुमित्रा जी को दिया जिसके फलस्वरूप उनके दो जुड़वाँ पुत्र - लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए | इस घटना मैं अत्यंत रोचक बात यह हुए की जिस भाग
को कौशल्या जी ने सुमित्रा जी को दिया था उसके परिणाम मैं लक्ष्मण जी ने जन्म लिया और लक्ष्मण जी सदा कौशल्या जी के पुत्र राम का अनुसरण करते रहे तथा खीर के जिस भाग को रानी केकयी ने सुमित्रा जी को दिया था उसके फलस्वरूप शत्रुघ्न जी ने जन्म लिया और सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न जी सदा केकयी पुत्र भरत जी का अनुसरण करते रहे |
माता सुमित्रा भी सदा बड़ी रानी कौशल्या जी की सेवा मैं लगी रहती थी तथा सभी बालको से इतना स्नेह करती थी चारों बालक माता सीता के पास ही सोते थे | उनकीधर्मपूर्ण एवं बुद्धिमत्ता पूर्ण बातों का पता हमें तब पता चलता है जब वनवास जाने के पहले लक्ष्मण जी उनसे आज्ञा लेने आते हैं और कहते हैं की वह भी भगवान् राम के साथ वन जाना चाहते हैं तभी सुमित्रा जी बिना विलम्ब एवं हिचकिचाहट के उन्हें कहती हैं पुत्र जहाँ राम जी है वहीं अयोध्या है क्यूंकि भगवान राम सूर्य के समान हैं उनके बिना इस नगरी मैं तो अन्धकार ही अंधकार है, जहाँ राम है वहीँ उनकी निष्ठापूर्वक सेवा करना तुम्हारा कर्तव्य है प्रभु राम के बिना तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं और जब राजा राम लौटकर आते हैं तब सभी के मुख से लक्ष्मण जी की प्रशंसा सुनकर की किस प्रकार उन्होंने श्री सीताराम की सेवा की तथा घनघोर वीरता का प्रदर्शन करते हुए इंद्रजीत आदि भीषण राक्षसों का वध किया माता सुमित्रा ने गदगद होकर अपने पुत्र लक्ष्मण को हृदय से लगा लिया तथा कहा की पुत्र तुमने मेरी कोख की लाज रख ली |
सुमित्रा माता का भले ही कवियों ने कथाओं मैं कम वर्णन किया हो सुमित्रा जी की महत्वता किसी भी प्रकार से कम नहीं होती | सुमित्रा माता को सदा ही अपनी ममता, बुद्धिमता तथा धर्मपरायणता के लिए याद किया जाएगा |
Raghukul Reet walked forever.
He should die but the word did not go away.
परोक्तकहावतकोराजादशरथनेअपनेजीवनमेंचरितार्थकरदियाअपनेबचन कापालनकरतेहुएराजादशरथनेअपनेपुत्रप्रभुश्रीरामकेवियोगमेंप्राणत्यागदिए| हालाँकि राजा दशरथ अपने पुत्र से बहुत अधिक प्रेम करते थे किन्तु धर्म की रक्षा के लिए तथा अपने वचनो की गरिमा बनाये रखने के लिए अपने पुत्र के वियोग के पथ को ही अपनाया जबकि वो जानते थे की श्री राम के बिना उनके प्राण ना रहेंगे फिर भी अपने पूर्वजो की भांति राजा दशरथ अपने वचन पर अटल रहे |
King Dasaratha made the famous saying in his life, following his life, King Dasharatha gave up his life in disconnection of his son, Lord Shri Ram. Although King Dasharatha loved his son very much, but in order to protect the religion and to maintain the dignity of his words, he adopted the path of separation of his son, even though he knew that his life would not exist without Shri Ram. Like his ancestors, King Dasharatha remained firm on his word.
राजादशरथकेराज्यकौशलकीराजधानीअयोध्याथी | अयोध्यासरयूनदीकेतटपरस्थितहै | राजादशरथकीमाताइंदुमतीएवंपिताकानाम अजहै | राजादशरथकीतीनरानियांथी - कौशल्या,सुमित्राऔर केकयी | तीनोंरानियोंसेराजादशरथको गुरु वशिष्ठ के परामर्श अनुसार पुत्रयेष्टि यज्ञद्वाराचारपुत्र -राम,लक्ष्मण,भरत व शत्रुघ्नप्राप्तहुए|
Ayodhya was the capital of King Dasharatha's kingdom skills. Ayodhya is situated on the banks of Saryu River. King Dasharatha's mother Indumati and father's name is Aj. King Dasharatha had three queens - Kaushalya, Sumitra and Kekayi. King Dasaratha received four sons - Ram, Lakshmana, Bharata and Shatrughna, through the Putrayeshti Yajna in consultation with Guru Vashistha from the three queens.
एकबारराजादशरथनेदेवासुरसंग्राममेंदेवराजइंद्रकेकहनेपरभागलिया | इसयुद्धमेंउनकीपत्नीकेकयी ने उनके प्राणोंकीरक्षाकेलिए अपने जीवन की परवाह ना करते हुए बहुत वीरता का प्रदर्शन किया ,तबदशरथजीनेप्रसन्नहोकरउन्हेंदोवरदानदेनेकावचनदियाथा | तब केकयी नेकहाथावक्तआनेपरमांगूंगी और बाद मैं जब भगवान् राम का राज्याभिषेक होने वाला था | मंथरा के बहकावे मैं केकयी ने राजा दशरथ से अपने दोनों वरदानो के बदले श्री राम जी को १४ वर्ष का वनवास तथा अपने पुत्र भरत के लिए राज्य मांग लिया , तत्पश्चातराजादशरथनेवचनकापालनतोकियाकिंतुश्रीरामजीकेवियोगमेंस्वर्गकोप्राप्तहोगए |
राजादशरथनेशनिदेवजीकेप्रकोपसे अपने राज्य को बचानेकेलिए |"श्रीदशरथकृतस्त्रोत"कीरचनाकीऔरशनिदेवजीकोप्रसन्नकिया |
Once King Dasaratha participated in Devasur Sangram at the behest of Devraj Indra. In this war, his wife Kekayi showed great valor to protect his life, not caring about his life, then Dashrath ji was pleased and promised to give him two boons. Then Kekayi had said that when the time comes, I will ask and when I will get the coronation of Lord Rama. In the pretext of Manthara, Kekayi asked King Dasaratha to return his two boons to Sri Rama ji for 16 years of exile and kingdom for his son Bharata, after which King Dasaratha obeyed the promise but in the disconnection of Shri Rama Ji to heaven Received.
राजादशरथजीकेविषयमेंएककथाबहुतहीप्रचलितहै:-
A story about King Dasharatha ji is very popular: -
श्रवणकुमारकेमातापिताअंधेथे एक दिनश्रवणकेमाता-पितानेकहा -बेटाहमारीउम्रहोगईहै,अबहमभगवानकेभजनकेलिएथे तीर्थ यात्रापरजानाचाहतेहैंशायदभगवानकेचरणोंमेंहमेंशांतिमिले | आज्ञाकारीपुत्रश्रवणकुमारनेदोबड़ी-बड़ीटोकरियालीऔरउसमेंअपनेमाता-पिताकोबिठाकरतीर्थयात्राकरनेकेलिएपैदल दोनों को कंधे पर उठाये चल पड़े| एकदोपहरश्रवणकुमारऔरउसकेमाता-पिता अयोध्या केपासएकजंगलमेंविश्रामकररहेथे | मांकोप्यासलगीतोश्रवणकुमारकमंडललेकरपानीलेनेकेलिएचलेगए | उसी समय अयोध्याकेराजादशरथजंगलमेंशिकारखेलनेकेलिएआएहुएथे | शरणकुमारनेजलभरनेकेलिएकमंडलकोपानीमेंडुबोयाबर्तनमेंपानीभरनेकीआवाजसुनकरराजादशरथकोलगाकोईजानवरपानीपीनेआयाहै | राजादशरथनेआवाजकेआधारपरशब्दभेदीबाणचलादियाबांण सीधाश्रवणजीकेसीनेमेंजाकरलगाश्रवणकेमुखसेचित्रकारनिकलगईऔरराजादशरथउसमनुष्यकी चित्तकारकोसुनकरदौड़े-दौड़ेश्रवणकुमारकेपासआए | आदर्श पुत्र श्रवणकुमारने प्राण त्यागने से पहले राजादशरथसेविनतीकरीकिमेरेपासमाता-पिताकीप्यासबुझानेकेलिएउसके कमंडलमेंभरेपानीकोलेकरउन्हेंदेआए| राजादशरथजबपानीलेकरउनकेमाता-पिताकेपासपहुंचेतोश्रवणकुमारके नेत्रहीन माता-पितासमझगएकिश्रवणकुमारकीजगहकोईऔरआयाहै| तबराजादशरथनेउन्हेंअपनापरिचयदियाऔरजोभीसत्यघटनाघटीउसकोकहदिया| इसघटनाकोसुनतेही श्रवण कुमारकीमाताकीकेप्राणपखेरूउड़गए और उसी दुःख की घडी में श्रवणकुमारकेनेत्रहीनपितानेभीराजादशरथकोश्राप दे दियातथाअपनेप्राणभीत्यागदिए | श्रवणकुमारकेमाता-पिताकेशापकेकारणहीराजादशरथकोभीपुत्रवियोगसहनापड़ारामचंद्रजी 14 सालकेलिएवनवासकोगए और राजादशरथ अपने प्रिय पुत्र राम का वियोगसह नापाएऔरउन्होंनेभीअपनेवचनकेपालनकेलिएअपनेप्राणत्यागदिएऔरस्वर्गकोप्राप्तहुए |
Shravan Kumar's parents were blind. One day Shravan's parents said - Son is our age, now we want to go on pilgrimage for the Lord's bhajan. May we find peace at the feet of God. Obedient son Shravan Kumar took two big baskets and placed his parents in it and carried both of them on their shoulders to do the pilgrimage. One afternoon Shravan Kumar and his parents were resting in a forest near Ayodhya.When the mother was thirsty, Shravan Kumar went to take water with a kamandal. At the same time, King Dasaratha of Ayodhya came to the forest to play hunting. To fill the water, Sharan Kumar dipped the kamandal in water, listening to the sound of filling water in the pot, King Dasharatha felt that an animal has come to drink water. King Dasharatha fired the arrow on the basis of the voice. The arrow went straight into the chest of Shravan ji, the painter came out of the mouth of Shravan and King Dasaratha ran on hearing Shravan Kumar after hearing that person's mind.The ideal son Shravan Kumar pleaded with King Dasharatha before giving up his life that he had to bring the parents with water filled in his kamandal to quench their thirst. When King Dasharatha reached his parents with water, the blind parents of Shravan Kumar understood that someone else had come in place of Shravan Kumar. Then King Dasharatha introduced himself to him and told him whatever truth happened.Hearing this incident, Shravan Kumar's mother's soul flew away and in the same grief, Shravan Kumar's blind father cursed King Dasaratha and gave up his life. Due to the curse of Shravan Kumar's parents, King Dasharatha also had to suffer a son's separation Ramchandra ji went to exile for 14 years and Raja Dasaratha could not bear the separation of his beloved son Rama and he too kept his promise He gave up his life and got to heaven.
राजादशरथ का पुत्र प्रेम और उनके अपने दिए गए वचनो के प्रति दृढ़ संकल्प वास्तव मैं बहुत ही आदरणीय है | King Dasharatha's love for the son and his determination to his own promises is indeed very respectable.